टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने बुधवार को कहा कि टाटा समूह गुजरात के धोलेरा में एक विशाल ‘सेमीकंडक्टर फैब’ बनाने की योजना बना रहा है
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने बुधवार को कहा कि टाटा समूह गुजरात के धोलेरा में एक विशाल ‘सेमीकंडक्टर फैब’ बनाने की योजना बना रहा है. इसका परिचालन 2024 में शुरू हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर बातचीत अंतिम चरण में है. वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन (VGGS) के यहां आयोजित 10वें संस्करण में चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा समूह ने एक संकल्प किया था जो पूरा होने की कगार पर है. हम धोलेरा में विशाल ‘सेमीकंडक्टर फैब’ की घोषणा करते हैं.
20 गीगावॉट की फैक्टरी
चेयरमैन ने कहा कि समूह दो महीने में राज्य के साणंद में लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए 20 गीगावॉट की गीगाफैक्टरी भी शुरू करने वाला है. चन्द्रशेखरन ने कहा कि हाल के दिनों में समूह ने साणंद में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. साणंद समूह की सभी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) टेक्नोलॉजी के लिए एक गंतव्य बन गया है. उन्होंने कहा कि ईवी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए साणंद में विस्तार किया गया.
गुजरात में टेक्नोलॉजी का विकास
इसके अलावा समूह अभी वडोदरा में सी-295 रक्षा विमान भी बना रहा है और बाद में धोलेरा में इसका निर्माण शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी में बनाए जा रहे भारतीय कौशल संस्थान का पहला चरण मार्च 2024 तक राज्य में पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा, हम गुजरात को एक बहुत ही महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में देखते हैं, न केवल व्यापार वृद्धि के लिए बल्कि भविष्य के उन्नत प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए जिनमें भारत वृद्धि करना चाहता है.
टाटा की 21 कंपनियां राज्य में मौजूद
चेयरमैन ने कहा कि वर्तमान में समूह की 21 कंपनियां राज्य में मौजूद हैं और 50,000 से अधिक लोगों को उससे रोजगार मिलता है. समूह अपने संस्थापक का गृहनगर नवसारी होने की वजह से राज्य से निकटता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि गुजरात में ‘‘स्थिर और शानदार’’ प्रगति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दर्शाती है, जिन्होंने दो दशक पहले इस कार्यक्रम (वीजीजीएस) की शुरुआत की थी. चन्द्रशेखरन ने कहा कि राज्य को जो आर्थिक लाभ हुआ है और उसका सामाजिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने गुजरात को उसकी खूबियों के कारण ‘‘भविष्य का प्रवेश द्वार’’ बताया.
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