IT Companies Outlook in 2024
IT Companies Outlook in 2024: आईटी कंपनियों को लेकर लगातार आशंकाएं जताई जा रही हैं कि इस साल इनकी कमाई कमजोर जारी रह सकती है। हालांकि ओमनीसाइंस कैपिटल के सीईओ और चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट विकास गुप्ता का कहना है कि भारतीय आईटी कंपनियां इस साल 2024 में कमजोर जारी रहने के अनुमान को तोड़ सकती हैं। विकास के मुताबिक इस साल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर खर्च बढ़ सकता है जिससे आईटी कंपनियों की कमाई बढ़ेगी। मनीकंट्रोल के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारतीय और अमेरिकी टेक कंपनियों की कमाई इस साल 15 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।
आईटी कंपनियों को लेकर मिला-जुला रुझान
अधिकतर एनालिस्ट्स का अनुमान है कि भारतीय आईटी क्षेत्र में कमजोरी जारी रहेगी। इनके लिए सबसे बड़ा मार्केट अमेरिका और यूरोप है और यहां की कंपनियों ने खर्च में कटौती की है जिसके चलते भारतीय सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। एक्सेंचर का अनुमान है कि फरवरी में समाप्त होने वाली तिमाही में -2 से 2 फीसदी की दर से रेवेन्यू बढ़ सकती है। को बाकी एनालिस्ट्स का भी अनुमान है कि प्रोजेक्ट में कटौती, कमजोर डिस्क्रेशनरी स्पेंडिंग और हाई फर्लो यानी छंटनी के चलते मार्च 2023 तिमाही में रेवेन्यू ग्रोथ (-) 4 से 4 फीसदी के बीच रह सकती है।
वहीं दूसरी तरफ विकास गुप्ता का मानना है कि अमेरिकी मंदी का घटते जोखिम, ब्याज दरों में कमी, खर्च में बढ़ोतरी और एआई ट्रांसफॉर्मेशन आईटी कंपनियों के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एआई दो दशकों की थीम है और भारत समेत दुनिया भर की आईटी कंपनियों को एआई ट्रांजिशन के चलते फॉर्च्यून 500 कंपनियों से फायदा मिलेगा। यह खर्च एक्सेंचर, एमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट से आएगा।
2024 में क्यों मिलेगा आईटी कंपनियों को सपोर्ट?
विकास के मुताबिक वैश्विक आईटी कंपनियों के पास मोटा बजट है, जो आखिरी में टीसीएस और पर्सिस्टेंट जैसी भारतीय आईटी कंपनियों में ही आने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल 2023 में मंदी की आशंका के चलते फॉर्च्यून 500 कंपनियां खर्च नहीं कर रही थीं लेकिन अब जब उनकी सेवाओं और उत्पादों की मांग जारी रहेगी तो वे आईटी बजट को बढ़ावा देंगे। मंदी का जोखिम कम होने के साथ वे 2024 में अधिक खर्च करने के लिए तैयार हैं। विकास का कहना है कि अमेरिका में 50 साल के निचले स्तर पर बेरोजगारी, लगभग 10 प्रतिशत की जारी हाई नॉमिनल ग्रोथ और 5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि से पता चलता है कि मंदी की संभावना बहुत कम थी। उन्होंने कहा कि इस साल ब्याज दरों में कटौती हो सकती है तो इससे भारत में FII का निवेश बढ़ेगा और वे लार्जकैप में पैसे डालेंगे जिसमें आईटी का वेटेज तगड़ा है।
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